अगर यही काम किसी लड़के ने किया होता तो पूरी महिला प्रजाति का अपमान होने के जुर्म में उसे बहुत सी कानूनी धाराओं में जेल भेज दिया गया होता । पर आरोपी लड़की है तो कानून उसके संरक्षण में उतरना लाजमी है । फिर यह बराबरी के हक का ढ़ोंग क्यों ? जब बराबरी की सजा नहीं भुगतने के लिये तैयार हो तो बराबरी का अंतर्नाद करना कितना सही है ? और इण्डिया गेट पर मोमबत्ती छाप ’वी वान्ट जस्टिस’ का गगन भेदी नाद सिर्फ महिलाओं के लिये ही प्रायोजित किया जाता है । पुरूष तो पैदा ही होता है अत्याचार करने के लिये और घुट – घुट कर कानूनों की बली चढ़ाने के लिये । उसके लिए न्याय मांगने का कार्यक्रम कौन प्रायोजित करेगा ?
Very true blogger… spreading awareness of heinous crimes by women shuld show Govt. that crime knows no Gender…
LikeLiked by 1 person