फर्जी मुकदमें Fake Cases

दहेज प्रताड़ना के झूठे मामले दर्ज कराने वाले अब सावधान!

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दहेज प्रताड़ना के झूठे मामले दर्ज कराने वाले अब सावधान!

Posted on: March 03, 2011 03:56 AM IST | Updated on: March 03, 2011 03:56 AM IST

नई दिल्ली। दहेज प्रताड़ना के झूठे मामले दर्ज कराने वाले हो अब सावधान हो जाएं, अगर अब आपने झूठे दावे किए तो आयकर विभाग आपके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। जी हां, ऐसे ही एक मामले में आयकर विभाग ने वसूली के लिए एक ऐसे आदमी को नोटिस जारी किया है। इस आदमी ने अपने दामाद के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज कराया था। जांच में आयकर विभाग ने पाया कि उसने जितना खर्च करने का दावा किया है, वो उसकी घोषित आय से काफी ज्यादा है।

दरअसल शादी के तीन साल बाद ही शोनी कपूर के खिलाफ उनकी पत्नी ने दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज करा दिया। उनकी पत्नी के पिता ने आरोप लगाया कि उन्होंने अपनी बेटी की शादी में 13 लाख रुपए खर्च किए थे, जो उन्हें वापस दिलाए जाएं। शोनी कपूर ने साल 2008 में आयकर विभाग के पास शिकायत की कि उनके ससुर की आय इतनी थी ही नहीं कि वो शादी में 13 लाख रुपए खर्च कर सकें। करीब तीन साल के लंबे इंतजार के बाद अब जाकर आयकर विभाग ने उनके ससुर को नोटिस जारी कर दो लाख 21 हजार रुपये जमा कराने को कहा है। साथ ही निर्देश जारी किया है कि क्यों ना उनसे जुर्माना वसूलने के लिए कार्रवाई शुरू की जाए।

दरअसल शोनी कपूर को दहेज प्रताड़ना के आरोप में जेल और पुलिस हिरासत जाना पड़ा। नौकरी छूट गई। परिवार शहर छोड़कर दिल्ली आ गया। इतनी परेशानी भुगतने के बाद उन्होंने इस लड़ाई को सही अंजाम तक पहुंचाने की ठान ली। अभी उनके खिलाफ दहेज प्रताड़ना का केस लंबित है। लेकिन उनकी माने तो पहली जीत उन्हें मिल गई है।

साल 2009 में देश भर में दहेज प्रताड़ना के करीब 90 हजार मुकदमे दर्ज हुए। पिछले कुछ सालों पर नजर डालें तो हर साल दहेज प्रताड़ना के मामलों में करीब 11 फीसदी की बढ़ोतरी हो जाती है। दर्ज हुए मुकदमों में से महज दो फीसदी में ही सजा होती है। यानी 98 फीसदी मामलों में या तो समझौता हो जाता है या फिर वो फर्जी पाए जाते हैं। साफ है कि समय आ चुका है कि इस कानून में बदलाव कर समाज में बदलाव लाया जाए।

बलात्कार कानून बना अवैध धन उगाही का धन्दा !

HH Lko 12 Mar 2016

भारत देश में बलात्कार कानून अवैध धन उगाही का धन्दा बन गया है । लखनऊ के हिन्दुस्तान अखबार में 12.03.2016 को प्रकाशित यह खबर पढि़ये । महिला चाहे जितनी बार भी फ़र्जी मुकदमा लिखाये, चाहे जितने निर्दोष लोगों को फ़साये और अवैध  धन उगाही करे । पूरी कानून व्यवस्था और न्याय व्यवस्था इस वसूली के धन्दे में उसके साथ खड़ी नजर आती है । ऐसी महिलाओं को सजा देने की मांग पर बड़े – बड़े भाग खड़े होते हैं । इसी कारण महिला कानूनों का खुलेआम दुरुपयोग हो रहा है और देश गर्त में जा रहा है ।

A woman can get away by paying Rs. 10000

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Shame on Indian laws and justice ! But, that’s real India!

 A woman can get away by paying only Rs. 10,000 ($145) for a serious offence of fooling the court and seeking non-admissable remdy. There is no consideration that she has even destroyed a man’s life.  This is banana justice of a banana republic.

Had it been any man doing the same, the entire world have been out to demand death penalty for him. Down with Indian laws that openly promote misuse by women. Shame once again. This news item was published at:

http://www.dnaindia.com/mumbai/report-woman-fined-rs10000-for-perjury-by-court-for-lying-under-oath-2186581

राजस्थान महिला आयोग ने फ़र्जी केस के लिये दरवाजे बन्द किये

एक सरहानीय पहल ! राजस्थान महिला आयोग ने सार्वजनिक रूप से माना की महिलाओं के द्वारा फ़र्जी मुकदमें लिखाये जाते हैं । साथ ही एक जिम्मेदार संस्था के रूप में फ़र्जी केस करने वालीयों के लिये महिला आयोग के दरवाजे बन्द किये । (खबर – राजस्थान पत्रिका, 21 फ़रवरी 2016 के हवाले से)

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पुरानी मांगो को दहेज के लिये हत्या नहीं माना जायेगा – सुप्रीम कोर्ट

दैनिक हिन्दुस्तान में दिनांक 17 फ़रवरी 2016 को छपी यह खबर अपनी चुगली खुद कर रही है । सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला दिया है कि हर केस जहां लड़की की मौत हो गयी हो उसे दहेज के लिये हत्या नहीं माना जायेगा । जिस प्रकार महिला कानूनों का खुले आम दुरुपयोग हो रहा है, उसके कारण यह एक महत्वपूर्ण फ़ैसला है । हत्या, के ठीक पहले की गयी दहेज की मांग को ही ’दहेज – हत्या’ (भारतीय दण्ड विधान की धारा 304बी) का कारण माना जायेगा ।

 HH LKo 17 Feb 2016

महिला के हाथों एक पुरूष मरा है, जशन मनाओ!

फ़िर चहका फ़र्जी महिला उत्थान, जाती है तो जाये, पुरुष की जान ।
 
आओ जशन मनाएं । एक पुरुष मरा है, वो भी महिला कानूनों के दुरुपयोग के कारण । फ़र्जी दहेज के मुकदमें की धमकी के कारण आत्महत्या करने वाले इस पुरूष की मौत की ’रिपोर्ट’ भी यदि पुलिस दर्ज कर ले तो बड़ी बात होगी । खबर – दैनिक जागरण, कानपुर के हवाले से – दिनांक 17 फ़रवरी 2016 को प्रकाशित |
Dainik Jagran Kanpur 17 Feb 2016

जब मालूम हो गया की महिला फंसा रही है तो उसे जेल क्यों नहीं भेजा ?

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बात निकली है तो दूर तलक जायेगी

महिला उत्पीड़न के आधे से अधिक मुकदमें फ़र्जी होते हैं । यह बात जिम्मेदार पुलिस अधिकारी दिल-ही-दिल में अपने अनुभवों से जानते थे पर अब वाकई पानी सिर से ऊपर निकल गया तो सार्वजनिक रूप से स्वीकार भी कर लिया । हाथ कंगन को आरसी क्या और पढ़े-लिखे को फ़ारसी क्या ? जो सच है वो बाहर आकर ही रहेगा । चाहे सच को सात तालों में छुपा कर रखो, वो बाहर आ ही जाता है । पर उससे भी बड़ा दु:ख यह है कि फ़र्जी मुकदमें लिखवाने वाली ’पीड़िताओं’ को कोई सजा न मिलने के कारण ऐसे मामले दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं ।

नई दुनिया, जयपुर में 12 फ़रवरी 2016 को छपी यह खबर देखिये ।

http://naidunia.jagran.com/state/rajasthan-husband-and-daughter-commits-suicide-after-wife-death-663952

women_oppression_rajasthan_11_02_2016

जब महिलावादियों को महिला ने पीटा

यह घटना लखनऊ के अखबरों में 13.01.2016 को छपी । यूं तो बहु के द्वारा बूढ़े सास – ससुर को  घर से निकालना और उनके मकान (समपत्ति) पर कब्जा कर लेना आम बात है । और ऐसा करने पर बहुओं को पूरा कानूनी संरक्षण प्राप्त है ।

पर घनघोर महिलावादी संगठन इस सार्वजनिक सत्य को सदैव नकारते रहते हैं । इस खबर की खास बात यह है कि ’जनवादी महिला समिति’ भी ऐसी ही प्रतिक्रिया देता रहा है । पर आज भी  यह लोग सच्चाई को स्वीकार करने को तैयार नहीं होंगे कि बहुएं ही नही सास-ससुर और यहां तक की स्वयं पति भी बहुओं के हाथों प्रताड़ित होते हैं ।

Much needed gesture in present time

Supreme Court to examine possibility of Domestic Violence on Men