दैनिक भास्कर, इंदौर के मुखपृष्ठ पर 03.04.15 को प्रकाशित यह खबर हर उस महिलावादी मानसिकता से ग्रस्त वयक्ति के मुंह पर तमाचा है, जो इस पूर्वाग्रह से ग्रस्त है कि सभी महिलाएं जन्म से ही सती – सावित्री और शक्ति-स्वरूपा, अबला आदि – आदि होती हैं । जितने वर्ष दीप्तांशु शुक्ला ने अपनी नौकरी गवाने के बाद पुरे परिवार के साथ अपमान और जलालत के साथ गुजारे उसकी भरपाई के लिए कोई भारत में कानून नहीं है । उसके माँ – बाप की सामजिक प्रतिष्ठा और धन की हानि की भरपाई कैसे होगी ? आप में बहुत लोग कानून के जानकार हैं ।। कोई रास्ता सुझाएं |
अपने स्तर पर हम सभी को मिल कर दीप्तांशु शुक्ला और उसके परिवार के लिए राष्ट्रीय वीरता पुरूस्कार की मांग का समर्थन करना चाहिए । जब कोई महिला अपने ऊपर हुए अत्याचार के बाद खुद को ‘सर्वाइवर’ के रूप में प्रस्तुत करती है तो दहेज के फर्जी मुकदमें से बरी हुए इस योद्धा को क्यों नहीं सम्मानित किया जाए । उस फर्जी शिकायत करने वाली ‘अबला नारी’ की निंदा करना भी उतना ही जरुरी है ।