अगर यही काम किसी लड़के ने किया होता हो सभी महिल संगठन सड़कों पर उतर आते कि लड़कियां बेची जा रही हैं । तमाम धरना – प्रदर्शन आदि शुरु हो जाते ।और हमारे देश की कर्मठ पुलिस उस लड़के को, और उसके दिवंगत पुरखों तक पर मुकदमा दर्ज हो गया होता । पर यही अपराध जब किसी महिला ने किया तो उसके साथ उदार बर्ताव क्यों ? #EqualPunishmentForEqualCrime की बात बराबरी के झण्डाबदरों के गले क्यों नहीं उतर रझीं>
परन्तु पुरुषों को बेचा जाना क्या कानूनन अपराध नहीं है ? इस पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं हो रही ? लड़कों की अस्मिता का कोई मोल नहीं है ।